बिश्नोई धर्म के २९ नियम .................
1. तीस दिन सूतक रखना।
2. पांच दिन का रजस्वला रखना।
3. प्रातः काल स्नान करना।
4. षील, सन्तोष व षुद्धि रखना।
5. प्रातः सायं सन्ध्या करना।
6. सांझ आरती, विष्णु गुन गाना।
7. प्रातः काल हवन करना।
8. पानी छानकर पीयें व वाणी षुद्ध बोलें।
9. ईंधन बीनकर व दूध छानकर लें।
10. क्षमा - सहनषीलता रखें।
11. दया - नम्रभाव से रहें।
12. चोरी नहीं करनी।
13. निन्दा नहीं करनी।
14. झूठ नहीं बोलना।
15. वाद-विवाद नहीं करना।
16. अमावस्या का व्रत रखना।
17. भजन विष्णु का करना।
18. प्राणी मात्र पर दया रखना।
19. हरे वृक्ष नहीं काटना।
20. अजर को जरना।
21. अपने हाथ से रसोई पकाना।
22. थाट अमर रखना।
23. बैल को बधिया न करना।
24. अमल नहीं खाना।
25. तंमाखू नहीं खाना व पीना।
26. भांग नहीं पीना।
27. मद्यपान नहीं करना।
28. माँस नहीं खाना।
29. नीले रंग का वस्त्र नहीं पहनना
तीस दिन सूतक, पांच ऋतुवन्ती न्यारो।
सेरो करो स्नान, शील सन्तोष शुचि प्यारो॥
द्विकाल सन्ध्या करो, सांझ आरती गुण गावो॥
होम हित चित्त प्रीत सूं होय, बास बैकुण्ठे पावो॥
पाणी बाणी ईन्धणी दूध, इतना लीजै छाण।
क्षमा दया हृदय धरो, गुरू बतायो जाण॥
चोरी निन्दा झूठ बरजियो, वाद न करणों कोय।
अमावस्या व्रत राखणों, भजन विष्णु बतायो जोय॥
जीव दया पालणी, रूंख लीला नहिं घावै।
अजर जरै जीवत मरै, वे वास बैकुण्ठा पावै॥
करै रसोई हाथ सूं, आन सूं पला न लावै।
अमर रखावै थाट, बैल बधिया न करवौ॥
अमल तमाखू भांग मांस, मद्य सूं दूर ही भागै।
लील न लावै अंग, देखते दूर ही त्यागे॥
उन्नतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय।
जाम्भे जी किरपा करी, नाम बिष्नोई होय॥